सोमवार, 14 जनवरी 2013

चंदा मामा भीग जाएंगे


मम्मा बारिश हो रही है
चंदा मामा भीग जाएंगे
अंब्रेला



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कोई दो साल की उम्र के आसपास मेरी बेटी लावण्या(घर में प्यार से जिनी)  की ये बात मुझे कविता ज्यादा लगी।
शाम, रात में तकरीबन घुल चुकी थी। बारिश हो रही थी। चांद पूरा नज़र आ रहा था। बारिश देखने के लिए मैं और जिनी घर से बाहर निकले और सामने कॉरीडोर में आ गए। यहां ये बताना ठीक लगता है कि मेरा घर बारवहीं मंजिल पर है। तो यहां से आसमान की ओर देखना आसमान को ज्यादा नज़दीक से देखने जैसा लगता है। हम दोनों जैसे ही बाहर आए, जिनी मेरी गोद में थी, तब चांद को देखना (अब से कोई एक साल पहले) जिनी के लिए एक दोस्त से मिलने जैसा था और वो चांद देखने के लिए जिद करके मुझे बाहर ले जाती। जैसे ही उसने चांद को बारिश में देखा, उसे यही ख्याल आया कि चंदा मामा बारिश में भीग जाएंगे। तब वो भी बारिश में भीगने से डरती थी, अब नहीं और उसने एक अंब्रेला मांगा। है न खूबसूरत ख्याल।

- जिनी की ओर से उसकी मां

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